V.S Awasthi

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पत्नी को परमेश्वर मानो

पत्नी को परमेश्वर मानो
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पत्नी तुम मेरी परमेश्वर,मैं हूं तेरा पुजारी।
तुम हो एम ए पास प्रिये,मैं हूं निपट अनाड़ी।।
तुम हो मेरी जीवन गाड़ी, जीवन का वेंटीलेटर।
उन्नति के शिखर पर चढ़ने में तुम हो मेरी एक्सक्लेटर।।
तेरी ही आक्सीजन से मैं हर पल सांसे लेता हूं।
मिनरल और विटामिन तो मैं देख के ही पा लेता हूं।।
मां ने तो मुझको जन्म दिया अमृत पान कराया।
पिता ने मेरी उंगली पकड़ी चलना मुझे सिखाया।।
बड़ा हुआ तो पिता ने मेरा पाणीग्रहण कराया।
तेरे हाथों में सौंपा मुझको अपना कर्तव्य निभाया।।
फिर तुम मेरे जीवन में आईं जीने की राह दिखाई।
सुख-दु:ख में साथ खड़ी हरदम विपदाएं सभी हटाई।।
तेरे ही साहस के बल पर मैं क़दम बढ़ाता चला गया।
सारी बाधाएं दूर हुई मन्जिल तक मैं पहुंच गया।।
बेगम तुमसे है अर्ज मेरी तुम बेगम बन कर के ही रहना।
तेरी ही दम से मैं जिन्दा हूं मुझको तुम बेदम मत करना।।
ईश्वर से प्रार्थना यही मेरी जीवन भर तेरा साथ रहे।
साथ जिएं और साथ मरें तेरे हाथ में मेरा हाथ रहे।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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